स्टीफन रिचर्ड्स जीवन और उनके सफलता के नियम
stephen reichert |
स्टीफन कोवे ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में एम.बी.ए. और ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट (पी-एच.डी.) की। स्टीफन कोवे ने विभिन्न प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों को प्रशिक्षण सेवाएँ प्रदान कीं। उन्हें अपने शोध और मॉडल के लिए भी जाना जाता है। लीडरशिप में सुधार करने और बिक्री प्रशिक्षण प्रदान करने में वे माहिर थे। 17 जुलाई, 2012 को 79 वर्ष की आयु में एक दुर्घटना में कोवे की मृत्यु हो गई।
स्टीफन कोवे के अनुसार, सफलता के दस नियम इस प्रकार हैं—
नियम 1. हमेशा नियंत्रण में रहने के लिए 90/10 सिद्धांत का उपयोग करें
जब चीजें अनुकूलता से काम नहीं करतीं तो लोग अकसर निराश हो जाते हैं। लेकिन स्टीफन कोवे के अनुसार, जीवन 10 प्रतिशत है, जो आपके साथ होता है और 90 प्रतिशत आप इस पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। इसलिए आपकी परिस्थितियाँ आपकी अपनी निजी पसंद के कारण हैं। केवल जब आप अपने जीवन की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं, तभी आप समझेंगे कि एक व्यक्ति के रूप में कैसे विकसित हुआ जाए।
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नियम 2. फसल कानून का उपयोग करें
फसल कानून का कहना है कि आप जो बोते हैं, उसे काटते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, स्टीफन कोवे आपसे कहते हैं कि कल जीवन का आनंद लेने के लिए आज आपको बीज बोने चाहिए। जिस तरह किसानों को यह पता नहीं होता है कि आनेवाले मौसम में फसल अच्छी होगी या नहीं, आपको प्रत्येक कारवाई के प्रभाव को तौलना चाहिए। इसलिए सबसे खराब स्थिति के लिए बचत करें और अपने महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए योजना बनाएँ।
नियम 3. अद्वितीय योगदान देने के लिए सराहना
ऐसे लोगों के साथ काम करना तय करें, जो अद्वितीय योगदान देने के लिए आपकी सराहना करते हैं और आपकी रचनात्मक क्षमता के लिए आपको पुरस्कृत करते हैं। एक सिद्धांत कहता है कि यदि आप उत्पादन करते हैं तो आपको गाजर मिलती है, यदि आप नहीं करते तो आपको छड़ी से पीटा जाता है। लेकिन मानवीय योगदान इस तरह के उपचार के लायक नहीं है। उन लोगों के लिए काम न करें, जो आपको मशीन की तरह या काम पाने का साधन मात्र मानते हैं।
नियम 4. सक्रिय बनिए
किसी भी वातावरण को नियंत्रित करने की यह क्षमता है। परिस्थिति के नियंत्रण में रहने की बजाय हमें परिस्थिति को नियंत्रित करना चाहिए। स्व-निर्धारण, चुनाव और निर्णय लेने की क्षमता ही आपकी परिस्थिति को सकारात्मक रूप में परिवर्तित कर सकती है।
नियम 5. अंत को ध्यान में रखकर शुरुआत करें
कोवे इस आदत को व्यक्तिगत लीडरशिप की आदत कहते हैं, जिनमें हमारा खुद का खुद पर नियंत्रण होना चाहिए। हमें हमेशा अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। ध्यान लगाने की इस आदत को विकसित कर हम व्याकुलता से बच सकते हैं और ज्यादा सक्रिय बन सफलता हासिल कर सकते हैं।
नियम 6. प्राथमिक चीजों को महत्त्व दें
हमें लीडरशिप और मैनेजमेंट के बीच के अंतर को समझना चाहिए। बाहरी दुनिया में लीडरशिप व्यक्तिगत दृष्टिकोण और व्यक्तिगत लीडरशिप के साथ ही शुरू होती है। हमें क्या महत्त्वपूर्ण है और क्या अति आवश्यक है, इस बारे में भी बात करनी चाहिए। नीचे दिए गए निर्देशों के अनुसार हमें कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए—
• जरूरी और बहुत जरूरी,
• जरूरी और बहुत जरूरी नहीं,
• जरूरी नहीं और
• जरूरी नहीं और बहुत जरूरी भी नहीं।
कोवे का कहना है कि लोग अपना आधा समय बहुत जरूरी, लेकिन महत्त्वपूर्ण कार्यों में नहीं बिताते हैं। एक सफल और पूरा जीवन जीने के लिए आपको अपने उद्देश्य और उच्चतम प्राथमिकताओं को जानना चाहिए। जब आप अपनी दृष्टि, उद्देश्य और उच्चतम प्राथमिकताओं को समझते हैं तो आप उन चीजों को जाने देने में सक्षम होंगे, जो आपके लिए मायने नहीं रखती हैं।
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नियम 7. हमेशा जीत के बारे में ही सोचें
यह बहुत जरूरी है, क्योंकि आपकी उपलब्धि दूसरों के साथ किए गए सहकारी संघर्षों पर निर्भर करती है। लेखक के अनुसार, हमें हमेशा जीत के बारे में ही सोचना चाहिए। कभी भी हार-जीत के बारे में सोचकर लड़खड़ाना नहीं चाहिए।
नियम 8. पहले दूसरों को समझने की कोशिश करें
यही आधुनिक दुनिया की सबसे बड़ी कहावत है। कोवे की यह आदत संचार से जुड़ी हुई है और यह अति प्रभावशाली व शक्तिशाली है। इस आदत को कोवे ने यह कहते हुए वर्णित किया है कि “लिखने से पहले निदान करें।” यह आदत बहुत आसान तथा सबसे प्रभावशाली है और साथ ही यह सकारात्मक रिश्तों को बनाए रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमेशा खुले दिमाग से लोगों की बातों को सुनना चाहिए और फिर अपने प्रभावशाली तरीके से अपने विचार को लोगों तक पहुँचाने की कोशिश करें। इससे एक सकारात्मक समस्या को सुलझाने वाले वातावरण का निर्माण होगा।
नियम 9. तालमेल बैठाना
एक ऐसा तत्त्व, जो हमें बताता है कि संपूर्ण हमेशा उसके छोटे-छोटे भाग से महान् और बड़ा है, इसलिए हमें हमेशा संपूर्ण लक्ष्य को पूरा करने की तरफ ध्यान देना चाहिए। साथ ही प्रदर्शन करते समय हमारे विचार और हमारी क्रिया के बीच तालमेल बैठना भी बहुत जरूरी है।
नियम 10. कुल्हाड़ी को तेज करें
यह आत्म-नवीकरण की आदत है और इसके भीतर ही आपकी सभी दूसरी आदतें समावेशित हैं। इन आदतों का उपयोग कर आप मानसिक व शारीरिक दोनों रूप से विकसित हो सकते हैं। कोवे ने खुद को भी चार भागों में विभाजित किया है—अध्यात्म, मानसिकता, शारीरिक एवं सामाजिक भावुकता और इन सभी का समान रूप से विकास होना बहुत जरूरी है।
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