J.R.D TATA biography in hindi, J.R.D का जीवन परिचय और उनके सफलता के नियम
दोस्तों आज हम J.R.D रतन टाटा के बारे में बात करने बाले है दोस्तों जहाँगीर रतनजी दादाभाई (J.R.D TATA) टाटा का जन्म 29 July, 1904 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ। जे.आर.डी. की माँ फ्रांसीसी थीं, और इसलिए उनके बचपन का ज्यादातर समय फ्रांस में ही बीता तथा इसलिए फ्रेंच उनकी प्रथम भाषा भी थी।
उन्होंने कैथेड्रल और जॉन कोनोन स्कूल, बंबई में अपनी आरंभिक पढ़ाई की और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की। 34 वर्ष की उम्र में J.R.D TATA , TATA SONS के चेयरमैन भी बने। लम्बे समय तक उन्होंने TATA समूह की बहुत सारी कंपनियों का मार्गदर्शन भी किया। जे.आर.डी. पहले शख्स थे, जिन्हें वर्ष 1929 में भारत में पहला पायलट लाइसेंस मिला।
जे.आर.डी. उसूलों के बहुत पक्के व्यक्ति थे। J.R.D TATA ने बिजनेस में सफलता के साथ-साथ अच्छे मानदंडों को भी कायम रखा। J.R.D Ratan TATA की अध्यक्षता में TATA समूह ने कई नई बुलंदियों को छुआ। साथ ही TATQ Groups की परिसंपत्ति 62 करोड़ रुपए से बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपए की हो गयी। J.R.D TATA को बिजनेस और राष्ट्र-निर्माण में अतुलनीय योगदान के लिए उनको वर्ष 1992 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ के साथ सम्मानित किया गया।
जे.आर.डी. का वर्ष 1993 में 89 वर्ष की उम्र में जिनेवा के (स्विट्जरलैंड) में J.R.D TATA का निधन हो गया। मृत्यु के पश्चात उन्हें पेरिस में दफनाया गया।
जे.आर.डी. टाटा के अनुसार, सफलता के दस नियम इस प्रकार हैं-
नियम 1. जीने का तरीका
जिंदगी को थोड़ा खतरनाक तरीके से जिएँ। कभी भी संदेह के साथ शुरू न करें, हमेशा आत्मविश्वास से शुरू करें। यह कभी न कहें कि आप इस चीज को खरीद नहीं सकते। यह गरीब आदमी का नजरिया है। यह पूछो कि उसे कैसे खरीदा जा सकता है?
नियम 2. काम
जब आप काम करते हैं तो ऐसे काम करें, जैसे कि सबकुछ आप ही पर निर्भर करता है। जब आप प्रार्थना करते हैं तो प्रार्थना ऐसे करें, जैसे कि सबकुछ भगवान् पर निर्भर करता है। भगवान् का प्यार इतना वास्तविक है कि उसने आपको साबित करने के लिए बनाया है। भगवान् ने आपको सिर्फ एक मुँह दिया, लेकिन उसने आपको दो कान दिए, ताकि आप जितना बोलते हैं, उससे दोगुना सुनें।
नियम 3. कड़ी मेहनत
गहन सोच और कड़ी मेहनत के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। छोटे से शुरू करें और बड़े सपने देखें। दूसरों को अपने सपनों को प्राप्त करने में मदद करें और आप अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे।
नियम 4. सफलता
भौतिक दृष्टि से कोई सफलता या उपलब्धि तब तक सार्थक नहीं कही जा सकती, जब तक कि वह देश और उसके लोगों की जरूरतों या हितों की सेवा नहीं करती है और निष्पक्ष व ईमानदार संसाधनों द्वारा प्राप्त नहीं की जाती।
नियम 5. अप्राप्य लक्ष्य
हमारी अधिकांश समस्याएँ खराब कार्यान्वयन, गलत प्राथमिकताओं और अप्राप्य लक्ष्यों के कारण हैं। व्यवसायी को कामकाजी पंडित होना चाहिए। उन्हें, जो वे करते हैं, उसके बारे में किताबी पंडित होने की जरूरत नहीं है।
नियम 6. धन
धन खाद की तरह होता है। जब आप इसे ढेर करते हैं तो यह बदबू मारता है; जब आप इसे फैलाते हैं तो यह बढ़ता है। पैसा बनाने के लिए पैसे की जरूरत नहीं होती। पैसा वास्तव में सिर्फ एक विचार है। पैसों की लत मत लगाइए। सीखने के लिए काम करिए। पैसों के लिए काम मत करिए। ज्ञान के लिए काम करिए। पैसे का मोह सभी बुराइयों की जड़ है। पैसे की कमी सभी बुराइयों की जड़ है।
नियम 7. अच्छे मानवीय संबंध
अच्छे मानवीय संबंध न केवल महान् व्यक्तिगत पुरस्कार-प्रदाता होते हैं, बल्कि किसी भी उद्यम की सफलता के लिए अपरिहार्य भी होते हैं। हार केवल उन लोगों को प्रभावित करती है, जो फिर कोशिश करने से इनकार करते हैं।
नियम 8. उत्पादकता और दक्षता
उत्पादकता और दक्षता निरंतर कड़ी मेहनत के साथ गुणवत्ता, उच्चतम मानकों पर जोर देते हुए कदम-दर-कदम आगे बढ़ते हुए हासिल की जा सकती हैं।
नियम 9. नेतृत्व
एक नेता होने के लिए आपको अनिवार्य रूप से स्नेह के साथ मनुष्यों का नेतृत्व करना होगा। हर एक विकलांगता, जो तुममें है, उसके बदले में चुनौतियों से पार पाने के लिए तुम्हारे अंदर कहीं अधिक क्षमता है। भय सभी की सबसे बड़ी विकलांगता है।
नियम 10. स्वच्छता और विवेक
स्वच्छता पूर्ण मानकों की कसौटी है तथा विवेक सबसे अच्छा गुणवत्ता निरीक्षक व परीक्षक है। सही दिशा में छोटे-छोटे कदम उठाएँ। चाहे आपके कदम कितने ही छोटे क्यों न हों, अपने लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ते रहें।
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